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5 Diabetes and Ayurveda
डायबिटीज और आयुर्वेद
भारत में मधुमेह तेजी से पांव पसार रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसका खतरनाक पहलू यह है कि इसके शिकार अब युवा और महिलाएं हो रही हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोग भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। विश्व के सबसे ऊंचाई पर स्थित लाहुल-स्पीति जिला की स्पीति घाटी के हिक्कम और कोमिक गांवों में मधुमेह के रोगी पाए गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व की छह प्रतिशत और भारत की सात प्रतिशत आबादी मधुमेह से पीडि़त है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विकासशील देशों में सही खान-पान न होने के कारण मधुरोह के मामलों में 80 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। अज्ञानता के कारण लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से 50 प्रतिशत को तो यह भी पता नहीं होता है कि वे मधुमेह से पीडि़त हैं। लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से इस धन्वंतरी जयंती 28 अक्टूबर को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया गया है। इस दिन को मधुमेह की रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में शिविर लगाए जाएंगे। इनमें लोगों की निशुल्क जांच व उपचार भी किया जाएगा।
डायबिटीज के लक्षण : बार बार पेशाब लगना, प्यास ज्यादा लगना, भूख ज्यादा लगना, बिना काम करे भी थकान होना, शरीर में कहीं घाव होने पर जल्दी ठीक ना होना तथा त्वचा का बार बार इन्फेक्शन होना। ये सब डायबिटीज के लक्षण हैं। यदि इनमे से कुछ लक्षण यदि लगातार दिखाई दें तो खून में शुगर की जांच अवश्य करवानी चाहिए यह जांच बहुत सामान्य और सस्ती होती है जो छोटी छोटी लैब्स में आसानी से हो जाती हैं इसके लिए शुगर का शक होने पर दिन में किसी भी समय (ब्लड शुगर- रैंडम) जांच करवाई जा सकती है या बार-बार जरूरत पड़े तो जांच करने की मशीन घर पर लायी जा सकती है जो ज्यादा महंगी नहीं होती।
डायबिटीज रोग के उपद्रव : यदि मधुमेह रोग का समय पर पता ना चले या पता चलने पर भी खान पान तथा जीवन शैली में लगातार लापरवाही की जाये और समुचित चिकित्सा ना की जाये तो खून में सामान्य से अधिक बढ़ा हुआ शुगर का लेवल शरीर के अनेक अंगों जैसे गुर्दे, ह्रदय, धमनियां, आंखें, त्वचा तथा नाड़ी तंत्र को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है और जब तक रोगी संभलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
डायबिटीज की चिकित्सा
1.खान पान में सुधार करें : चीनी व अन्य मीठे पदार्थों का सेवन कम से कम करें या न करें, चोकर युक्त आटा, हरी सब्जियां ज्यादा खाएं, मीठे फलों को छोड़कर अन्य फल खाएं, एक बार में ज्यादा खाने की बजाय भोजन को छोटे छोटे अंतराल में लें, घी तेल से बनी एवं तली भुनी चीजें जैसे- समोसे, कचौड़ी, पूड़ी, परांठे आदि का सेवन कम से कम करें, गेहूं, जौ व चने को मिला कर बनाई हुई यानि मिस्सी रोटी शुगर की बीमारी में बहुत फायदेमंद होती है।
2.शारीरिक रूप से सक्रिय रहे : नित्य व्यायाम करना, योग प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना, सुबह शाम चहल कदमी करना मधुमेह रोग में शुगर कंट्रोल करने के लिए बहुत लाभदायक है तथा मोटापा नियंत्रण में रहता है जो की डायबिटीज का महत्वपूर्ण कारण है।
3.तनाव से बचें : मधुमेह रोग में तनाव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है तनाव से बचने की पूरी कोशिश करें। स्ट्रेस या तनाव के कारणों को आपसी बात चीत से हल करें, योगा, प्राणायाम, ध्यान तथा सुबह शाम घूमने से स्ट्रेस कंट्रोल करने में सहायता मिलती है।
डायबटीज रोगी क्या खाएं और क्या नहीं
अगर आपको पिछले कुछ दिनों से बार-बार पेशाब आती है या पेशाब में जलन होती है तो जांच करवाएं। जांच के दौरान अगर ब्लड सुगर लेवल हाई निकलता है तो आपको अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता है और खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत है।
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- अपनी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना आवश्यक है जो शरीर में शर्करा को कम कर दें यानि, आलू, चीनी मिठाईयां, मीठे बिस्कुट, चॉकलेट, कॉर्बोनेटेड ड्रिंक, कंडेस्ड मिल्क, क्रीम और अन्?य फैट युक्?त भोजन का सेवन बंद कर दें। यहां तककि जंक फूड, कुक़ीज और प्रिजर्वड फूड का सेवन भी न करें।
- ग्रीन टी पिएं, या इसके बदले आप कोई हर्बल टी भी पी सकते हैं। डायबटीज में सबसे अच्छी ब्लूबेरी लीफ टी होती है। दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, इससे भी काफी लाभ मिलेगा।
- अगर कुछ स्वीट बनाना हो, तो शहद का इस्तेमाल करें, इसमें प्राकृतिक मिठास होती है जो शरीर को हानि नहीं पहुंचाता है। पाम सुगर का इस्तेमाल भी इमरजेंसी में किया जा सकता है।
- बिना वसायुक्त दूध का सेवन करें और अगर दूध ताजा हो, तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
- साबुत अनाज, फल, नट्स, सब्जियां और दूध से बने उत्पादों को अपनी डाइट में शामिल कर लें।
- खीरा, लेट्टस, प्याज, लहसुन, स्ट्रिंग बीन, मूली, टमाटर, गाजर, पालक, शलजम, वंदगोभी और आटिचोक का सेवन अवश्य करें। ये डायबटीज होने पर शरीर को ताकत देती हैं और शरीर में शर्करा का स्तर बढऩे नहीं देती हैं।
- हाईफाइबर फूड खाने से शरीर को ऊपर से इंसुलिन डोज देने की आवश्?यकता नहीं रह जाती है। क्योंकि ऐसी खुराक में क्रोमियम होता है जो डायबटीज से फाइट करता है।
- प्रतिदिन पौटेशियम युक्त भोजन, जैसे रॉ नट्स, टमाटर, केला, खरबूजा, सूखी मटर, एप्पल सिडर सिरका, पाउडर मिल्क और गेंहू का सेवन अवश्य करें। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और पौटेशियम की कमी दूर होती है। साथ ही इन खाद्य पदार्थों में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो लाभकारी होती है। फूड चार्ट में दलिया, राजमा, काले चने, मटर आदि भी शामिल करें।
5 घरेलू उपाय
आयुर्वेद की कुछ जड़ी बूटियां मधुमेह रोग में बहुत उपयोगी हैं इनका सेवन डायबिटीज में बहुत लम्बे समय से किया जा रहा है आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी डायबिटीज में इनकी उपयोगिता सिद्ध कर चुका है।
- दाना मेथी :
दाना मेथी मधुमेह में बहुत उपयोगी है इसके लिए एक या दो चम्मच दाना मेथी को एक गिलास पानी में रात में भिगो देते है सुबह मेथी को चबा चबा कर खा लेते हैं तथा मेथी के पानी को पी लेते हैं या मेथी का चूर्ण या सब्जी बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
- करेला :
करेला भी डायबिटीज के लिए अति महत्पूर्ण है इसके लिए करेले का जूस अकेले या आंवले के जूस में मिला कर 100-125 रूद्य की मात्रा में सुबह शाम भूखे पेट लें साथ ही करेले की सब्जी बनाकर या चूर्ण के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।
- जामुन :
जामुन का फल खाने में जितना स्वादिस्ट और रुचिकारक होता है उतना ही शुगर की तकलीफ में लाभदायक होता है इसके लिए जामुन के सीजन में जामुन के फल खाए जा सकते हैं तथा सीजन ना होने पर जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह शाम भूखे पेट पानी से ले सकते हैं।
- विजयसार :
विजयसार को ना केवल आयुर्वेद बल्कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी डायबिटीज में बहुत उपयोगी मानता है इसके लिए विजयसार की लकड़ी से बने गिलास में रात में पानी भर कर रख दिया जाता है सुबह भूखे पेट इस पानी को पी लिया जाता है विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं।
- मधुमेह नाशक पाउडर :
इसके लिए गिलोय, गुड़मार, कुटकी, बिल्व पत्र, जामुन की गुठली, हरड़, चिरायता, आंवला, काली जीरी, तेज पत्र, बहेड़ा नीम पत्र एवं अन्य जड़ी बूटियों को एक निश्चित अनुपात में लेकर पाउडर बनाया जाता है जो की डायबिटीज में बहुत फायदेमंद साबित होता है।
उपरोक्त उपाय जरुरत के अनुसार उपयोग करने चाहियें, खून में शुगर का लेवल कम ना हो जाये इसलिए समय समय पर शुगर चैक करते रहना चाहिए।
औषधियां
यदि खून में शुगर की मात्रा ज्यादा बढ़ी हुई नहीं हो तो उपरोक्त उपायों से आराम अवश्य मिलता है किन्तु यदि खून में शुगर लेवल ज्यादा हो तो चिकित्सक की राय अवश्य लेनी चाहिए, इसके लिए एलोपैथी में इन्सुलिन के इंजेक्शन तथा मुख से सेवन करने वाली गोलियों आदि का प्रयोग किया जाता है तथा आयुर्वेद में बसंत कुसुमाकर रस, शिलाजत्वादि वटी, चन्द्र प्रभा वटी, शुद्ध शिलाजीत तथा अन्य अनेक दवाओं का प्रयोग किया जाता है ये दवाइयाँ डायबिटीज में बहुत फायदेमंद होती हैं लेकिन इन्हे चिकित्सक की राय से ही सेवन करना चाहिए ।
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