7 Powerful Benefits of Mantras on Vasant Panchami
वसंत पंचमी को होती है सरस्वती पूजा और इन मंत्रों का जाप करना !
हिन्दू धर्म में देवी सरस्वती को ज्ञान, साहित्य, कला और स्वर की देवी माना जाता है। इन्हें श्वेत रंग अतिप्रिय है। सरस्वती जी का वर्णन ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में है लेकिन कई स्थानों पर इन्हें ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में भी दिखाया गया है। हर वर्ष की माघ शुक्ल पंचमी अर्थात वसंत पंचमी को देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
देवी सरस्वती की जन्म कथा (Birth Story of Devi Saraswati)
एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की, उस समय पृथ्वी पर चारों तरफ उदासी का वातावरण छाया हुआ था। पृथ्वी के वातावरण को मंगलमय बनाने का विचार करते हुए ब्रह्मा जी के मुख से एक सुंदर स्त्री का जन्म हुआ। इस स्त्री के हाथ में वीणा था, जैसे ही स्त्री ने वीणा बजाना शुरू किया पूरी पृथ्वी लहलहा उठी। तभी से उस दिन को वसंत पंचमी के रुप में मनाया जाने लगा।
देवी सरस्वती का स्वरूप (Incarnation of Devi Saraswati)
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार देवी सरस्वती बहुत ही शांत स्वभाव की हैं। उनके चार हाथ है जिसमें से एक हाथ में माला और एक हाथ में वेदों को धारण किया हुआ है, जबकि दो अन्य हाथों से देवी ने वीणा पकड़ा हुआ है। इनके गले में श्वेत रंग की माला है तथा इनके वस्त्र भी श्वेत हैं। देवी सरस्वती का वाहन मोर हैं।
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सरस्वती जी का परिवार (Family of Devi Saraswati)
सरस्वती पुराण के अनुसार सरस्वती जी का जन्म ब्रह्मा के मुख से हुआ था। देवी सरस्वती के अद्भुत रूप को देखकर ब्रह्मा जी ने उनसे विवाह कर लिया। ब्रह्मा जी और देवी सरस्वती का एक पुत्र भी है जिसे “स्वयंभु मनु” के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्माजी और सरस्वती देवी का संबंध (Relation Between Lord Bramha & Devi Saraswati)
हिन्दू धर्मानुसार ब्रह्मा जी द्वारा उत्पन्न किए जाने के कारण यूं तो देवी सरस्वती उनकी पुत्री हुई लेकिन भाग्यवश ब्रह्माजी को ही सरस्वती देवी का पति माना जाता है। माना जाता है कि अपनी ही पुत्री से विवाह करने और उस पर कुदृष्टि डालने के कारण ब्रह्माजी की पूजा अन्य देवों की तरह नहीं होती। कई जगह यह बात भी लिखी गई है कि सरस्वती जी ने ही ब्रह्माजी को वेदों का ज्ञान सिखाया था।
देवी सरस्वती का मंत्र (Mantra of Devi Saraswati)
सरस्वती जी की पूजा के लिए अष्टाक्षर मूल मंत्र “श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” परम श्रेष्ठतम और उपयोगी माना जाता है। साथ ही सरस्वती जी को प्रसन्न करने तथा विद्या प्राप्ति के लिए इस मंत्र का भी प्रयोग किया जाता है: ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
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देवी सरस्वती से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें (Facts of Devi Saraswati)
- सरस्वती जी का विवाह आपने पिता ब्रह्मा जी से हुआ था।
- उनका वाहन मोर है।
- देवी सरस्वती स्वर और विद्या की देवी हैं।
- विष्णु जी के श्राप के कारण ही देवी सरस्वती, सरस्वती नदी बनी थी।
देवी सरस्वती के अन्य नाम (Other Name of Devi Saraswati)
- शारदा
- शतरूपा
- वाणी
- वाग्देवी
- वागेश्वरी
- भारती
- कौशिकी
देवी सरस्वती के प्रमुख मंदिर (Famous Temples of Devi Saraswati)
- शारदा मंदिर (मैहर)
- सरस्वती मंदिर (पुष्कर)
- श्रृंगेरी मंदिर
- सरस्वती मंदिर (कोट्टयम)
- श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (निजामाबाद)
श्री सरस्वती प्रार्थना (Shri Saraswati Prathana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के
फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह
धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं,
जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है,
जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया
है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं
द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता
और अज्ञान को दूर कर देने वाली
माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां
जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्में व्याप्त,
आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं
चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली,
सभी भयों से भयदान देने वाली,
अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा,
पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली
और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली,
सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा
(सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥2॥
वसंत पंचमी को होती है सरस्वती पूजा (Worship of Devi Saraswati At Vasant Panchami)
वसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से सरस्वती पूजा करने का विधान है। इस दिन मुख्यतः देवी सरस्वती की पूजा ज्ञान, बुद्धि और कला की प्राप्ति के लिए किया जाता है। देवी सरस्वती हिन्दू धर्म की देवी हैं। इन्हें साहित्य, कला और स्वर की देवी माना जाता है। हर वर्ष की माघ शुक्ल पंचमी अर्थात वसंत पंचमी को देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने सर्वप्रथम सरस्वती जी की पूजा की थी। इन्हें श्वेत रंग अतिप्रिय है। तो आइए पढ़ें ज्ञान की देवी सरस्वती जी के कुछ आसान मंत्र:
Saraswati Mool Mantra
1.देवी सरस्वती का मूल मंत्र निम्न है:
ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
2.संपूर्ण सरस्वती मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
Saraswati Mantra for Exams
परीक्षा भय निवारण हेतु इन मंत्रों का जाप करना लाभदायक माना जाता है
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
Om Ahem Hreem Shreem Veena Pustak Dharinim Mam Bhay Nivaranya Nivaranya abhyam dehi dehi swaha.
Saraswati Mantra for Memory Power
स्मरण शक्ति बढाने के लिए मंत्र को फलदायक माना जाता है:
ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
Om Namah Bhagwati Vad Vad Vagdevi Swaha
Higher Education And Intelligence Mantra
उच्च शिक्षा और बुद्धिमत्ता के लिए सरस्वती देवी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:
शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।
Sarada Saradabhaumvadana Vadanambuje
Sarvada sarvadasmakamam sannidhimam sannidhimam kriya tu
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
Srim hrim sarasvatyai svaha.
Hrim aim hrim sarasvatyai namah
Fields of Arts and Literature Success Mantra
कला और साहित्य के क्षेत्र में सफलता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां|
हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां||
Shuklaam Brahmavichaara Saara paramaam Aadhyaam Jagadvyapinim,
Veena Pustaka Dhaarineem Abhayadaam Jaadya’andhakaara’apahaam
Haste Sphaatika Maalikam Vidadhateem Padmasane Sansthitaam
Vande taam Parmeshwareem Bhagavateem Buddhipradaam Shardam
Powerful Saraswati Mantra
सभी बाधाओं के निवारण के लिए देवी सरस्वती के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।
Aim hrim Srim antariksa sarasvati parama rakshini
mama sarva vighna badha nivaraya nivaraya svaha
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