Vishnupadi Sankranti / विष्णुपदी संक्रान्ति
वृषभे वृश्चिके चैव सिंहे कुम्भे तथैव च ।
पूर्वमष्टमुहूर्तास्तु ग्राह्याः स्नानजपादिषु ।।
वृष , वृश्चिक , सिंह और कुम्भ राशिकी संक्रान्तियोंमें पहलेके आठ मुहूर्त ( सोलह घड़ी ) स्त्रान और जप आदिमें ग्राह्य हैं । (नारद पुराण)
सूर्य के स्थिर राशियों (वृष, सिंह, वृश्चिक एवं कुंभ) में प्रवेश को विष्णुपदी संक्रान्ति कहते हैं।
विष्णु जी के चरण से निकलने के कारण गङ्गा नदी को भी विष्णुपदी कहते हैं। “निर्गता विष्णुपादाब्जात् तेनविष्णुपदी स्वृता”
Know More Vyatipata Yog
“लक्षं विष्णुपदीफलम्” के अनुसार, विष्णुपदी संक्रांति को किये गए दान, मंत्र जप का फल लाख गुना होता है।
स्कन्दपुराण नागरखंड के अनुसार “स्त्रानदानजपश्राद्धहोमादिषु महाफला” अर्थात संक्रांति के दिन स्नान, दान, तप, श्राद्ध, होम आदि का महाफल मिलता है।
‘संक्रान्तौ यानि दत्तानि हव्यकव्यानि दातृभि:।
तानि नित्यं ददात्यर्क: पुनर्जन्मनि जन्मनि।।’
अर्थात संक्रांति आदि के अवसरों में हव्य, कव्यादि जो कुछ भी दिया जाता है, सूर्य नारायण उसे जन्म-जन्मांतर प्रदान करते रहते हैं।
रविसङ्क्रमणे पुण्ये न स्नायाद्यस्तु मानव: ।
सप्तजन्मन्यसौ रोगी निर्धनोपजायते ॥ (दीपिका)
रविसंक्रमणे प्राप्ते न स्त्रायाद् यस्तु मानवः ।
चिरकालिकरोगी स्यान्निर्धनश्चैव जातये ॥ (धर्मसिन्धु)
शास्त्रों में वर्णन है कि सूर्य के संक्रमण काल में जो मनुष्य स्नान नही करता वह सात जन्मों तक रोगी, निर्धन तथा दु:ख भोगता रहता है।
Know More Somvati Amavasya
मृगशिरा नक्षत्र में ब्राह्मणों को दूध दान करने से किसी प्रकार का ऋण नहीं रहता व व्याधि से दूर रहते हैं। दूध देने वाली गौ का बछड़े सहित दान करने से दाता मृत्यु के पश्चात इस लोक से सर्वोत्म स्वर्ग लोक में जाते हैं।
शिवपुराण के अनुसार भाद्रपद मास में वस्त्र का दान आयु वृद्धि करने वाला होता है ।
विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । (पद्म पुराण)
…. ….