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9 Health Benefits of Carrot

9 Health Benefits of Carrot

गाजर के फायदे और औषधि प्रयोग !!

गाजर को उसके प्राकृतिक रूप में ही अर्थात् कच्चा खाने से ज्यादा लाभ होता है। उसके भीतर का पीला भाग निकाल कर खाना चाहिए क्योंकि वह अत्यधिक गरम होता है, अतः पित्तदोष, वीर्यदोष एवं छाती में दाह उत्पन्न करता है।

गाजर/carrot स्वाद में मधुर कसैली कड़वी, तीक्ष्ण, स्निग्ध, उष्णवीर्य, गरम, दस्त ठीक करने वाली, मूत्रल, हृदय के लिए हितकर, रक्त शुद्ध करने वाली, कफ निकालनेवाली, वातदोषनाशक, पुष्टिवर्धक तथा दिमाग एवं नस नाड़ियों के लिए बलप्रद है। यह अफरा, संग्रहणी, बवासीर, पेट के रोगों, सूजन, खाँसी, पथरी, मूत्रदाह, मूत्राल्पता तथा दुर्बलता का नाश करने वाली है।

गाजर के बीज गरम होते हैं अतः गर्भवती महिलाओं को उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। इसके बीज पचने में भी भारी होते हैं। गाजर में आलू से छः गुना ज्यादा कैल्शियम होता है। कैल्शियम एवं केरोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह एक उत्तम आहार है। रूसी डॉ. मेकनिकोफ के अनुसार गाजर में आँतों के हानिकारक जंतुओं को नष्ट करने का अदभुत गुण पाया जाता है। इसमें विटामिन ए भी काफी मात्रा में पाया जाता है, अतः यह नेत्ररोगों में भी लाभदायक है।

गाजर रक्त शुद्ध करती है। 10-15 दिन तक केवल गाजर के रस पर रहने से रक्तविकार, गाँठ, सूजन एवं पांडुरोग जैसे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। इसमें लौह-तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। खूब चबाकर गाजर खाने से दाँत मजबूत, स्वच्छ एवं चमकदार होते हैं तथा मसूढ़ें मजबूत बनते हैं।

सावधानीः गाजर के भीतर का पीला भाग खाने से अथवा गाजर के खाने के बाद 30 मिनट के अंदर पानी पीने से खाँसी होती है। अत्यधिक मात्रा में गाजर खाने से पेट में दर्द होता है। ऐसे समय में थोड़ा गुड़ खायें। अधिक गाजर वीर्य का क्षय करती है। पित्तप्रकृति के लोगों को गाजर का क्रम एवं सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए।

औषधि प्रयोग

दिमागी कमजोरीः गाजर के रस का नित्त्य सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर होती है।

सूजनः सब आहार त्यागकर केवल गाजर के रस अथवा उबली हुई गाजर पर रहने से मरीज को लाभ होता है।

मासिक न दिखने पर या कष्टार्तवः मासिक कम आने पर या समय होने पर भी न आने पर गाजर के 5 ग्राम बीजों को 20 ग्राम गुड़ के साथ काढ़ा बनाकर लेने से लाभ होता है। एलोपैथिक गोलियाँ जो मासिक को नियमित करने के लिए ली जाती हैं, वे अत्यधिक हानिकारक होती हैं। भूल से भी इसक सेवन न करें।

आधासीसीः गाजर के पत्तों पर दोनों ओर घी लगाकर उन्हें गर्म करें। फिर उनका रस निकालकर 2-3 बूँदें गाम एवं नाक में डालें। इससे आधासीसी (आधा सिर) का दर्द मिटता है।

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श्वास-हिचकीः गाजर के रस की 4-5 बूंदें दोनों नथुनों में डालने से लाभ होता है।

नेत्ररोगः दृष्टिमंदता, रतौंधी, पढ़ते समय आँखों में तकलीफ होना आदि रोगों में कच्ची गाजर या उसके रस का सेवन लाभप्रद है। यह प्रयोग चश्मे का नंबर घटा सकता है।

पाचन सम्बन्धी गड़बड़ीः अरुचि, मंदाग्नि, अपच, आदि रोगों में गाजर के रस में नमक, धनिया, जीरा, काली मिर्च, नींबू का रस डालकर पियें अथवा गाजर का सूप बनाकर पियें।

पेशाब की तकलीफः गाजर का रस पीने से पेशाब खुलकर आता है, रक्तशर्करा भी कम होती है। गाजर का हलवा खाने से पेशाब में कैल्शियम, फास्फोरस का आना बंद हो जाता है।

जलने परः जलने से होने वाले दाह में प्रभावित अंग पर बार-बार गाजर का रस लगाने से लाभ होता है।

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