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Health Benefits Of Matsyasana Yoga

Health Benefits Of Matsyasana Yoga

मत्स्य का अर्थ है मछली। इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है अतः मत्स्यासन कहलाता है। प्लाविनी प्राणायाम के साथ इस आसन की स्थिति में लम्बे समय तक पानी में तैर सकते हैं। ध्यान विशुद्धाख्या चक्र में। श्वास पहले रेचकबहिर्कुम्भक, फिर पूरक और रेचक।

मत्स्यासन के विधि

steps for fish pose

भूमि पर बिछे हुए आसन पर पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जायें। फिर पैरों को पद्मासन की स्थिति में ही रखकर हाथ के आधार से सावधानी पूर्वक पीछे की ओर चित्त होकर लेट जायें। रेचक करके कमर को ऊपर उठायें। घुटनेनितंब और मस्तक के शिखा स्थान को भूमि के स्थान लगायें रखें। शिखास्थान के नीचे कोई नरम कपड़ा अवश्य रखें। बायें हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा और दाहिने हाथ से बायें पैर का अंगूठा पकड़ें।

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दोनों कुहनियाँ ज़मीन को लगायें रखें। कुम्भक की स्थिति में रहकर दृष्टि को पीछे की ओर सिर के पास ले जाने की कोशिश करें। दाँत दबे हुए और मुँह बन्द रखें। एक मिनट से प्रारम्भ करके पाँच मिनट तक अभ्यास बढ़ायें। फिर हाथ खोलकर, कमर भूमि को लगाकर सिर ऊपर उठाकर बैठ जायें। पूरक करके रेचक करें। 

पहले भूमि पर लेट कर फिर पद्मासन लगाकर भी मत्स्यासन हो सकता है।

मत्स्यासन के लाभ

म्त्स्यासन से पूरा शरीर मजबूत बनता है। गलाछाती, पेट की तमाम बीमारियाँ दूर होती हैं। आँखों की रोशनी बढ़ती है। गला साफ रहता है। श्वसनक्रिया ठीक से चलती है। कन्धों की नसें उल्टी मुड़ती हैं इससे छाती व फेफड़ों का विकास होता है। पेट साफ रहता है। आँतों का मैल दूर होता है। रक्ताभिसरण की गति बढ़ती है।

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फलतः चमड़ी के रोग नहीं होते। दमा और खाँसी दूर होती है। छाती चौड़ी बनती है। पेट की चरबी कम होती है। इस आसन से अपानवायु की गति नीचे की ओर होने से मलावरोध दूर होता है। थोड़ा पानी पीकर यह आसन करने से शौच-शुद्धि में सहायता मिलती है। 

मत्स्यासन से स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बन्धी सब रोग दूर होते हैं। मासिकस्राव नियमित बनता है।

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