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Naraka Chaturdashi ko Narakeyatanaon se Raksha
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) : नारकीय यातनाओं से रक्षा ।
Narak Chaturthi (Kali Chaudas): Protection from hellish tortures
इस दिन सूर्योदय से पूर्व तेल मालिस कर स्नान करने से यमलोक का भय नहीं रहता ।
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। ‘सनत्कुमार संहिता’ एवं ‘धर्मसिंधु’ ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है।
काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है। नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध होता है।
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काली चौदस को सरसों के तेल/ घी का दिया जलाकर काजल बनाकर लगाने से बुरी नजर नहीं लगती, नेत्र ज्योति बढ़ती है और भूत-बाधा भाग जाती है । दिवाली के दिनों में चौमुखी दिया जलाकर चौराहे पर रख दिया जाए, चारों तरफ, वो शुभ माना जाता है ।
नरक चतुर्दशी के दिन चतुर्मुखी दीप का दान करने से नरक भय से मुक्ति मिलती है । एक चार मुख ( चार लौ ) वाला दीप जलाकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिये –
दत्तो दीपश्वचतुर्देश्यां नरकप्रीतये मया ।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये ॥
(नरक चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिये तथा समस्त पापों के विनाश के लिये मै चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।)
यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। ‘सन्नतकुमार संहिता’ एवं धर्मसिन्धु ग्रन्थ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है। जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है उसके शुभकर्मों का नाश हो जाता है।
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