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Ganesh Chaturthi par Kalank Nivaaran ke Upaay
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्न-निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है |
भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया हैं इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्या कलंक लगता हैं। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है।
भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥
अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता हैं। ऐसा गणेश जी का वचन हैं।
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भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का का श्रवण करना लाभकारक हैं। जिससे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।
चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र
यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो व्यक्ति को निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिये। मंत्र का 21, 54 या 108 बार जप करें । ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र निम्न है।
सिंहः प्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः ॥
sinhah prasenamavadheet , sinho jaambavata hatah ।
sukumaarak ma rodeestav, hyesh syamantakah ।।
अर्थात: सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा हैं और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया हैं, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार हैं।
चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है | इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के वचन या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता है |
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