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Apan Vayu Mudra Benefits
अपान वायु मुद्रा (ह्रदय मुद्रा) के विधि और लाभ
अपान वायु मुद्रा के विधि
1. सुखासन या अन्य किसी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएँ | दोनों हाथ घुटनों पर रखें, हथेलियाँ उपर की तरफ रहें एवं रीढ़ की हड्डी सीधी रहे |
2. हाथ की तर्जनी (प्रथम) अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगा दें तथा मध्यमा (बीच वाली अंगुली) व अनामिका (तीसरी अंगुली) अंगुली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाएँ |
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3. कनिष्ठिका (सबसे छोटी अंगुली) अंगुली सीधी रहे ।
सावधानी
1. अपान वायु मुद्रा एक शक्तिशाली मुद्रा है इसमें एक साथ तीन तत्वों का मिलन अग्नि तत्व से होता है, इसलिए इसे निश्चित समय से अधिक नही करना चाहिए |
मुद्रा करने का समय व अवधि
1. अपान वायु मुद्रा करने का सर्वोत्तम समय प्रातः, दोपहर एवं सायंकाल है | इस मुद्रा को दिन में कुल 48 मिनट तक कर सकते हैं | दिन में तीन बार 16-16 मिनट भी कर सकते हैं |
चिकित्सकीय लाभ
1. अपान वायु मुद्रा ह्रदय रोग के लिए रामवाण है इसी लिए इसे ह्रदय मुद्रा भी कहा जाता है |
2. दिल का दौरा पड़ने पर यदि रोगी यह मुद्रा करने की स्थिति में हो तो तुरंत अपान वायु मुद्रा कर लेनी चाहिए | इससे तुरंत लाभ होता है एवं हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है |
3. इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से रक्तचाप एवं अन्य ह्रदय सम्बन्धी रोग नष्ट हो जाते हैं |
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4. अपान वायु मुद्रा करने से आधे सिर का दर्द तत्काल रूप से कम हो जाता है एवं इसके नियमित अभ्यास से यह रोग समूल नष्ट हो जाता है |
5. यह मुद्रा उदर विकार को समाप्त करती है अपच, गैस, एसिडिटी, कब्ज जैसे रोगों में अत्यंत लाभकारी है |
6. अपान वायु मुद्रा करने से गठिया एवं आर्थराइटिस रोग में लाभ होता है |
आध्यात्मिक लाभ
1. अपान वायु मुद्रा अग्नि, वायु, आकाश एवं पृथ्वी तत्व के मिलन से बनती है | इस मुद्रा के प्रभाव से साधक में सहनशीलता, स्थिरता, व्यापकता और तेज का संचार होता है |
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