Table of Contents
Health Benefits Of Halasana Yoga
इस आसन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है इसलिए इसको हलासन कहा जाता है।ध्यान विशुद्धाख्या चक्र में। श्वास रेचक और बाद में दीर्घ।
हलासन के विधि
भूमि पर बिछे हुए आसन पर चित्त होकर लेट जाएँ। दोनों हाथ शरीर को लगे रहें। अब रेचक करके श्वास को बाहर निकाल दें। दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊँचे करते जायें। आकाश की ओर पूरे उठाकर फिर पीछे सिर के तरफ झुकायें। पैर बिल्कुल तने हुए रखकर पंजे ज़मीन पर लगायें। ठोड़ी छाती से लगी रहे। चित्तवृत्ति को विशुद्धाख्या चक्र में स्थिर करें। दो-तीन मिनट से लेकर बीस मिनट तक समय की अवधि बढ़ा सकते हैं।
हलासन के लाभ
हलासन के अभ्यास से अजीर्ण, कब्ज, अर्श, थायराइड का अल्प विकास, अंगविकार, असमय वृद्धत्व, दमा, कफ, रक्तविकार आदि दूर होते हैं। इस आसन से लिवर अच्छा होता है। छाती का विकास होता है। श्वसनक्रिया तेज होकर ऑक्सीजन से रक्त शुद्ध बनता है।
गले के दर्द, पेट की बीमारी, संधिवात आदि दूर होते हैं। पेट की चरबी कम होती है। सिरदर्द दूर होता है। वीर्यविकार निर्मूल होता है। खराब विचार बन्द होते हैं। नाड़ी तंत्र शुद्ध होता है। शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है। गर्भिणी स्त्रियों के सिवा हर एक को यह आसन करना चाहिए।
रीढ़ में कठोरता होना यह वृद्धावस्था का चिह्न है। हलासन से रीढ़ लचीली बनती है, इससे युवावस्था की शक्ति, स्फूर्ति, स्वास्थ्य और उत्साह बना रहता है। मेरूदण्ड सम्बन्धी नाड़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा होकर वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते। जठर की नाड़ियों को शक्ति प्राप्त होती है।
Know More Health Benefits Of Pavanamuktasana Yoga
जठर की माँसपेशियाँ तथा पाचनतंत्र के अंगों की नाड़ियों की दुर्बलता के कारण अगर मंदाग्नि एवं कब्ज हो तो हलासन से दूर होते हैं। कमर, पीठ एवं गरदन के रोग नष्ट होते हैं। लिवर और प्लीहा बढ़ गए हों तो हलासन से सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। काम केन्द्र की शक्ति बढ़ती है। अपानशक्ति का उत्थान होकर उदानरूपी अग्नि का योग होने से वीर्यशक्ति ऊर्ध्वगामी बनती है।
हलासन से वीर्य का स्तंभन होता है। यह आसन अण्डकोष की वृद्धि, पेन्क्रियास,अपेन्डिक्स आदि को ठीक करता है। थायराइड ग्रन्थि की क्रियाशीलता बढ़ती है। ध्यान करने से विशुद्ध चक्र जागृत हो जाता है।
…. ….